हमारे पैर में दो तरह के वेन(नसें) होती हैं, एक ऊपरी सतह में जो त्वचा के बिलकुल नीचे और दुसरी वेन गहरे सतह में होती है, दोनों वेन में छोटी और महीन वाल्व लगी होती हैं, जिसका काम रक्त को शुध अॉकिसजन प्राप्त करने के लिए ह्रदय अौर फेफड़ों के तरफ़ वापस धकेलना होता है ! टिश्यूज से नसें रक्त को हृदय की ओर ले जाती हैं। गुरुत्वाकर्षण के विपरीत नसें रक्त को पैरों से हृदय में ले जाती हैं और इस प्रवाह को ऊपर ले जाने में मदद के लिए नसों के अंदर वॉल्व होते हैं।
जब ये वाल्व ख़राब- दुर्बल हो जाती हैं, और रक्त को ह्रदय अौर फेफड़ों के तरफ़ धकेलने का काम बंद कर देतीं हैं, तब रक्त सही तरीके से ऊपर की ओर चढ़ नहीं पाता और रक्त उल्टी दिशा में नीचे की ओर बहने लगता है, और अधिक मात्रा में रक्त का ठहराव पैर के नसों में होने लगता है, परिणाम स्वरूप नसें टेढ़ी-मेढ़ी हो जाती और फूलकर रस्सीयों कि तरह सूजी और ऊभरी हुई नसें दिखनी लगती हैं,जिसे वेरिकोज़ वेन बीमारी के नाम से जनते हैं !
Baad me पैरों का रंग काला पड़ने लगता है, इसमें नसों का गुच्छा बन जाता है, जिसे स्पाइडर वेन्स भी कहते हैं. वैरिकोज वेन्स में बेहद खतरनाक अल्सर बन सकते हैं।
वैसे तो ये बीमारी हर वर्ग और हर उम्र के लोगों को होती है, पर आमतौर पर उन लोगों में ज़्यादा ख़तरा होता है जो एक हि जगह पर लम्बे समय तक खड़े या बैठे रहते हैं, और व्यायाम बिलकुल नही करते और परिणाम स्वरूप पैरों कि माँस पेशियाँ ओर नसें कमज़ोर पड़ जाती हैं और वाल्व काम करना बंद कर देते हैं !
वेरिकोज़ वेन ख़ासकर सिपाही, फ़ौजी, सिक्योरिटीज़ गार्ड, वाच मैन, लिफ़्ट मैन, नाई/हजाम (पारलर), होटल कर्मचारी, मज़दूर, गर्भवती महिला और यहाँ तक कि चिकित्सक को भी लम्बे समय तक खड़े रहने से हो जाता है!
अधिक मोटापा और अनुवाशिंक भी एक मुख्य कारण है।
अगर आप बहुत देर तक खड़े रहते हैं तो आपको वेरिकोज वेन्स की समस्या हो सकती है। आपको थोड़ी-थोड़ी देर में पैरों को आराम देना चाहिए, घर में महिलाएं घर के काम में कई बार पूरे दिन खड़ी रहती हैं जिसके कारण ये समस्या हो सकती है
अगर आपका वजन ज्यादा है तो आपको वेरिकोज वेन्स का शिकार होना पड़ सकता है, ज्यादा वजन होने के कारण नसों पर दबाव पड़ता है और नसों में ब्लड फ्लो बिगड़ने लगता है इसलिए वेट कंट्रोल करने के उपाय जरूर अपनाएं।
डीप वेन थ्रोम्बोसिस के कारण भी वेरिकोज वेन्स की समस्या होती है। इसमें पैर या अन्य भाग में खून का थक्का जम जाता है। अगर आप मोटापा, हाई बीपी, बार-बार गर्भधारण आदि से गुजरे हैं तो आपको ये बीमारी होने की आशंका ज्यादा होगी।
अगर परिवार में किसी को वेरिकोज वेन्स की समस्या है तो ऐसा हो सकता है कि आपको वेरिकोज वेन्स होने के पीछे जेनेटिक कारण हो, इससे बचने के लिए आप पहले से ही जरूरी बचाव के उपाय अपनाएं।
अगर जन्म के वक्त ही बच्चे की वाल्व डैमेज्ड है तो उसे आगे जाकर वेरिकोज वेन्स की समस्या हो सकती है, अगर वेन ज्यादा डैमेज है तो डॉक्टर उसे सर्जरी की मदद से निकाल देते हैं या दवा से इलाज किया
अगर जन्म के वक्त ही बच्चे की वाल्व डैमेज्ड है तो उसे आगे जाकर वेरिकोज वेन्स की समस्या हो सकती है, अगर वेन ज्यादा डैमेज है तो डॉक्टर उसे सर्जरी की मदद से निकाल देते हैं या दवा से इलाज किया
ईसमें लेज़र फ़ाइबर द्वारा, अल्ट्रासाउंड पर देखते हुए ख़राब वेन को बंद कर दिया जाता है साथ में DSA एंजियोग्राफ़ी मशीन की भी सहायता लेनी पडंती है ! ईस procedure में मरीज़ के कोई भी चीरा नहीं लगाया जाता है, और खून का भी नुक़्सान नही होता है!
RFA भी एक आधुनिक तकनीक ईलाज है !
यह बिलकुल लेज़र अबलेशन जैसा हि काम करता है, लेकिन radio frequency तकनीकी पर काम करता है और ईलाज के ख़र्च में थोड़ा फ़र्क़ आता है
यह एक एडवांस तकनीक है और हमारे देश में मौजूद भी है! ईसमें तकनीक से पैर के ख़राब वेन में, एक ख़ास क़िस्म का दवा (glue) डाल के, उसको बंद कर दिया जाता है!
ईसमें एक ख़ास क़िस्म का दवा (sclerosant) ख़राब वेन में डाल कर उसको बंद कर दिया जाता है! ईसमें नस को सुन करने ज़रूरत नही पड़ती है और ना हि thermal energy का ऊपयोग होता है!
यह एक एडवांस तकनीकी है, ईसकि सुविधा देश के गिने-चुने अस्पतालों में ही है ! और यह ईलाज थोड़ा ख़र्चिला होता है!
लेज़र अॉपरेशन के बाद, बचे हुए ख़राब वेन में एक ख़ास क़िस्म का दवा (setrol) डाल के, शेष बचे वेन को बंद कर दिया जाता है! यह ईलाज क़ाफि सस्ता होने के वजह से, ईसका दूरउपयोग भी ज़्यादा होता है, और जिसके ख़तरनाक परिणाम हो सकते हैं !
ध्यान रहे यह प्राथमिक ऊपचार का तरीक़ा बिलकुल भी नही है ! ईस दवा और ईलाज का उपयोग शेष बचे-खुचे वेन को ही ठीक करने में हि किया जाता है! स्कलेरोथिरेपि वेरिकोस वेन के सुरूवाती दौर में करना जोखिम भरा हो सकता है और इसके ख़तरनाक परिणाम भी हो सकते हैं ! इससे बचें !
* यह एक blood less procedure(रक्त रहित) है, ईस procedure में खून का ज़रा भी नुक़्सान नही होता है!
* चीरा या टाँका नहीं लगाया जाता है ! जिससे पैर बदसूरत या भद्दा नही दिखता है !
* मरीज को बेहोश करने कि ज़रूरत नही पड़ती है!
* यह एक day care procedure है! लेज़र होने के बाद मरीज़ ऊसी दिन घर वापस लौट सकता है ! अस्पताल में
ठहरने कि ज़रूरत नही होती है! और
* अगले हि दिन मरीज़ अपने काम पर लौट सकता है, ईसमें आराम या छुट्टी लेने कि ज़रूरत नही पड़ती है !
* लेज़र ईलाज का कोई साईड ईफेकट नही है
* आमतौर पर एक बार लेज़र पर्याप्त होता है, बिमारी ठीक करने के लिए !
* लेज़र ईलाज में अलग से कोई मेडिसिन लेने कि ज़रूरत नही पड़ती है !
लेज़र अबलेशन procedure में एक ख़ास wavelength energy (ऊर्जा) का ऊपयोग कर के ख़राब वेन को बंद कर दिया जाता है! ईसमें मरीज को बेहोश करने कि ज़रूरत नही पड़ती है, और लेज़र अबलेशन procedure आधे घंटे में ख़त्म कर लिया जाता है!
लेज़र अॉपरेशन में खून का नुक़्सान नही होता और चीरा या टाँका नही लगाने कि ज़रूरत नही होती है !
अल्ट्रासाउंड के जरिए वेरिकोज वेन्स (varicose veins in hindi) का पता लगाया जाता है, जिसके बाद वेरिकोज वेन्स की समस्या को दूर करने के लिए आप ये उपाय अपनाएं-
वेरिकोज वेन्स की समस्या के बढ़ने का इंतजार न करें, ये समस्या आपको तकलीफ दे सकती है, लक्षण नजर आने पर तुरंत उपचार करवाएं।
We have years of experience using either Ultrasound Guided Sclerotherapy, Standard Sclerotherapy or Laser Ablation depending of severity of the vein. We are Specialist in Endovascular Interventional Radiologist- MBBS, MD, FIPM(Germany, FVIR(TIPHAC-CORE), PhD(I) and Varicose Vein Specialist.
Dr. Sanjay Kumar - Varicose veins Specialist