Varicose Veins Doctor

“वेरिकोस वेन:- ना करें नज़रअंदाज़, हो सकती है समस्या गंभीर!!” - डॉ. संजय कुमार ईंटरवेंसनल रेडियोलॉजिस्ट.

बदलती जीवनशैली, रोज़मर्रा कि भागदौड़ और बढ़ते काम-काज के बोझ के तले आजकल कई बीमारीयॉं लोगों को घेर रही है! वेरिकोस वेन, पैरों के नस(वेन) कि बिमारी उन में से एक है! भारत में हर साल वेरिकोस वेन के 90 लाख से ज़्यादा नये केस देखने को मिलते हैं, और वहीं देश के पूरे आबादी का लगभग 5% हिस्सा ईस बीमारी से ग्रसित है, एवं क़रीब 25-30% युवा ईस के शिकार हैं ! ईस बीमारी से महिलाअों को ४ गुना अधिक ख़तरा रहता है! वेरिकोस वेन कि बीमारी पैर के ऊपरी सतह के नसों(वेन) के वाल्व के ख़राब होने से उत्पन्न होता है, परिणाम स्वरूप नसें सूज कर रस्सीयों कि तरह दिखने लगती हैं और पैरों में सूजन के साथ दर्द होने लगता है! बाद में पैर के रंग गहरा काला पड़ जाता अौर कभी ना ठीक होने वाला घाव या ज़ख़्म बन जाता है। ईस बीमारी में मरीज़ एक डाक्टर से दुसरे डाक्टर और एक शहर से दुसरे शहर तक, सही ईलाज के तलाश में भटकते रहते हैं, परंतु कुछ ख़ास फ़ायदा नहीं हो पाता है , क्योंकि ईसका ईलाज ख़ास तकनीकी द्वारा ख़ास डॉक्टर के द्वारा ही संभव हो पाता है, जिसे ईंटरवेंसनल रेडियोलॉजिस्ट के नाम से जानते हैं! आईए जानते हैं इस रोग से जुड़े सवाल और जवाब के बारे में, जो अक्सर मरीज़ हम से पुछा करते हैं !
क्या है वेरिकोस वेन? और कैसे होती है वेरिकोस वेन की बीमारी ?

हमारे पैर में दो तरह के वेन(नसें) होती हैं, एक ऊपरी सतह में जो त्वचा के बिलकुल नीचे और दुसरी वेन गहरे सतह में होती है, दोनों वेन में छोटी और महीन वाल्व लगी होती हैं, जिसका काम रक्त को शुध अॉकिसजन प्राप्त करने के लिए ह्रदय अौर फेफड़ों के तरफ़ वापस धकेलना होता है ! टिश्यूज से नसें रक्त को हृदय की ओर ले जाती हैं। गुरुत्वाकर्षण के विपरीत नसें  रक्त को पैरों से हृदय में ले जाती हैं और इस प्रवाह को ऊपर ले जाने में मदद के लिए नसों के अंदर वॉल्व होते हैं।

जब ये वाल्व ख़राब- दुर्बल हो जाती हैं, और रक्त को ह्रदय अौर फेफड़ों के तरफ़ धकेलने का काम बंद कर देतीं हैं, तब रक्त सही तरीके से ऊपर की ओर चढ़ नहीं पाता और रक्त उल्टी दिशा में नीचे की ओर बहने लगता है, और अधिक मात्रा में रक्त का ठहराव पैर के नसों में होने लगता है, परिणाम स्वरूप  नसें टेढ़ी-मेढ़ी हो जाती और फूलकर रस्सीयों कि तरह सूजी और ऊभरी हुई नसें दिखनी लगती हैं,जिसे वेरिकोज़ वेन बीमारी के नाम से जनते हैं !

Baad me पैरों का रंग काला पड़ने लगता है, इसमें नसों का गुच्छा बन जाता है, जिसे स्पाइडर वेन्स भी कहते हैं. वैरिकोज वेन्स में बेहद खतरनाक अल्सर बन सकते हैं। 

किन्हें है इस रोग का ज़्यादा ख़तरा?

वैसे तो ये बीमारी हर वर्ग और हर उम्र के लोगों को होती है, पर आमतौर पर उन लोगों में ज़्यादा ख़तरा होता है जो एक हि जगह पर लम्बे समय तक खड़े या बैठे रहते हैं, और व्यायाम बिलकुल नही करते और परिणाम स्वरूप पैरों कि माँस पेशियाँ ओर नसें कमज़ोर  पड़ जाती हैं और वाल्व काम करना बंद कर देते हैं !

वेरिकोज़ वेन ख़ासकर सिपाही, फ़ौजी, सिक्योरिटीज़ गार्ड, वाच मैन, लिफ़्ट मैन, नाई/हजाम (पारलर), होटल कर्मचारी, मज़दूर, गर्भवती महिला और यहाँ तक कि चिकित्सक को भी लम्बे समय तक खड़े रहने से हो जाता है!

अधिक मोटापा और अनुवाशिंक भी एक मुख्य कारण है। 

डॉ. संजय कुमार
Consultant Endovascular & Interventional Radiologist.
(MBBS, MD, FIPM(Germany), FVIR(TIFAC-CORE), PhD.

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वेरिकोज वेन्स के कारण (Causes of Varicose veins)

ऐसा माना जाता है क‍ि पुरुषों के मुकाबले मह‍िलाओं में प्रेगनेंसी, हार्मोनल असंतुलन, मेनोपॉज, गर्भन‍िरोधक दवा के सेवन के कारण वेरिकोज वेन्स होने का खतरा ज्‍यादा रहता है इसल‍िए हेल्‍दी जीवनशैली अपनाएं। वैरीकोज वेन्स होने के पीछे मुख्य कारणों को जान लें-
1. ज्‍यादा देर खड़े रहना (Prolonged standing)

अगर आप बहुत देर तक खड़े रहते हैं तो आपको वेरिकोज वेन्‍स की समस्‍या हो सकती है। आपको थोड़ी-थोड़ी देर में पैरों को आराम देना चाह‍िए, घर में मह‍िलाएं घर के काम में कई बार पूरे द‍िन खड़ी रहती हैं ज‍िसके कारण ये समस्‍या हो सकती है

2. वजन ज्यादा होना (Obesity)

अगर आपका वजन ज्‍यादा है तो आपको वेरिकोज वेन्स का श‍िकार होना पड़ सकता है, ज्‍यादा वजन होने के कारण नसों पर दबाव पड़ता है और नसों में ब्‍लड फ्लो बि‍गड़ने लगता है इसल‍िए वेट कंट्रोल करने के उपाय जरूर अपनाएं।  

3. डीप वेन थ्रोम्‍बोस‍िस (Deep vein thrombosis)

डीप वेन थ्रोम्‍बोस‍िस के कारण भी वेरिकोज वेन्‍स की समस्‍या होती है। इसमें पैर या अन्‍य भाग में खून का थक्‍का जम जाता है। अगर आप मोटापा, हाई बीपी, बार-बार गर्भधारण आद‍ि से गुजरे हैं तो आपको ये बीमारी होने की आशंका ज्‍यादा होगी। 

4. अनुवांश‍िक कारण (Genetic disorder)

अगर परिवार में किसी को वेरिकोज वेन्‍स की समस्‍या है तो ऐसा हो सकता है क‍ि आपको वेरिकोज वेन्‍स होने के पीछे जेनेट‍िक कारण हो, इससे बचने के ल‍िए आप पहले से ही जरूरी बचाव के उपाय अपनाएं। 

5. जन्म के वक्त क्षतिग्रस्त वाल्व होना (Damaged valve at birth)

अगर जन्‍म के वक्‍त ही बच्‍चे की वाल्‍व डैमेज्‍ड है तो उसे आगे जाकर वेरिकोज वेन्‍स की समस्‍या हो सकती है, अगर वेन ज्‍यादा डैमेज है तो डॉक्‍टर उसे सर्जरी की मदद से न‍िकाल देते हैं या दवा से इलाज क‍िया

5. जन्म के वक्त क्षतिग्रस्त वाल्व होना (Damaged valve at birth)

अगर जन्‍म के वक्‍त ही बच्‍चे की वाल्‍व डैमेज्‍ड है तो उसे आगे जाकर वेरिकोज वेन्‍स की समस्‍या हो सकती है, अगर वेन ज्‍यादा डैमेज है तो डॉक्‍टर उसे सर्जरी की मदद से न‍िकाल देते हैं या दवा से इलाज क‍िया

डॉ. संजय कुमार
Consultant Endovascular & Interventional Radiologist.
(MBBS, MD, FIPM(Germany), FVIR(TIFAC-CORE), PhD.

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क्या लक्षण होते हैं वेरिकोज वेन के? और क्या तकलीफ़ें आती हैं ?

* पैरों में दर्द या भारीपन महसूस होना और पैरों में दर्द(टटईनी) होना !
* गहरी बैंगनी या नीली दिखने वाली नसें। नसें सूज कर, मोटे रस्सीयों कि तरह त्वचा के नीचे ऊभर जाती हैं!
* पैरों मे सूजन आना, खुजली होना !
* दर्द से उठने-बैठने में तकलीफ़ होना और ज़्यादा देर तक खड़ा होने में कठिनाई महसूस होना!
* घुटने से नीचे पैरों का रंग बदलना और गहरे काले रंग का निशान पड़ना !
* बाद में जल्दी ठीक ना होने वाले घाव/ज़ख़्म बन जाता है, जिसे “Non healing venous ulcer” के नाम से जानते हैं!
* कई मरीज़ तो अपने बिमारी और पैरों को छुपाते रहते हैं, और अंत दाव में ईस बिमारी से परेशान हो कर डिप्रेशन और एंजाईटी तक के शिकार हो जाते हैं !

किस जॉच से वेरिकोस वेन का पता लगता है ?

अल्ट्रासाउंड कलर डॉपलर - सटीक जाँच:- ईस जाँच से वेरिकोस वेन को उसके शुरूवाती दौर में ही पकड़ा जा सकता है और नस को और ख़राब होने से बचाया जा सकता है !
वेनोग्राम : जटील वेरिकोस वेन को ठीक करने के लिए कई बार DSA एंजियोग्राफ़ी मशीन की भी सहायता लेनी पड़ती है, जिसमें पैर के वेन में दवा डाल के, वेन का रिफलकस चेक किया जाता है! यह एक एडवांस तकनीकी है, ईसकि सुविधा देश के गिने-चुने अस्पतालों में ही है !

क्या है आज का आधुनिक तकनीक ईलाज?

लेज़र अबलेशन(EVLA) :-

ईसमें लेज़र फ़ाइबर द्वारा, अल्ट्रासाउंड पर देखते हुए ख़राब वेन को बंद कर दिया जाता है साथ में DSA एंजियोग्राफ़ी मशीन की भी सहायता लेनी पडंती है ! ईस procedure में मरीज़ के कोई भी चीरा नहीं लगाया जाता है, और खून  का भी नुक़्सान नही होता है! 

 

रेडियो फिरिकेवेसीं अबलेशन(RFA) :-

RFA भी एक आधुनिक तकनीक ईलाज है !

यह बिलकुल लेज़र अबलेशन जैसा हि काम करता है, लेकिन radio frequency तकनीकी पर काम करता है और ईलाज के ख़र्च में थोड़ा फ़र्क़ आता है 

वेनाबलॉक (Venablock) कलोजर गलू डिवाईस:-

यह एक एडवांस तकनीक है और हमारे देश में मौजूद भी है! ईसमें तकनीक से पैर के ख़राब वेन में, एक ख़ास क़िस्म का दवा (glue) डाल के, उसको बंद कर दिया जाता है!

MOCA:-Mechanochemical Ablation (MOCA):-

ईसमें एक ख़ास क़िस्म का दवा (sclerosant) ख़राब वेन में डाल कर उसको बंद कर दिया जाता है! ईसमें नस को सुन करने ज़रूरत नही पड़ती है और ना हि thermal energy का ऊपयोग होता है!

यह एक एडवांस तकनीकी है, ईसकि सुविधा देश के गिने-चुने अस्पतालों में ही है ! और यह ईलाज थोड़ा ख़र्चिला होता है! 

सकलेरोथिरेपि:- (Sclerotherapy)

लेज़र अॉपरेशन के बाद, बचे हुए ख़राब वेन में एक ख़ास क़िस्म का दवा (setrol) डाल के, शेष बचे वेन को बंद कर दिया जाता है! यह ईलाज क़ाफि सस्ता होने के वजह से, ईसका दूरउपयोग भी ज़्यादा होता है, और जिसके ख़तरनाक परिणाम हो सकते हैं !  

ध्यान रहे यह प्राथमिक ऊपचार का तरीक़ा बिलकुल भी नही है ! ईस दवा और ईलाज का उपयोग शेष बचे-खुचे वेन को ही ठीक करने में हि किया जाता है! स्कलेरोथिरेपि वेरिकोस वेन के सुरूवाती दौर में करना जोखिम भरा हो सकता है और इसके ख़तरनाक परिणाम भी हो सकते हैं ! इससे बचें ! 

क्यों लेज़र ईलाज बेहतर है पुराने ढंग के सर्जरी ईलाज से ?

लेज़र ईलाज के फ़ायदे:-:-

* यह एक blood less procedure(रक्त रहित) है, ईस procedure में खून का ज़रा भी नुक़्सान नही होता है! 

* चीरा या टाँका नहीं लगाया जाता है ! जिससे पैर बदसूरत या भद्दा नही दिखता है !

* मरीज को बेहोश करने कि ज़रूरत नही पड़ती है!

* यह एक day care procedure है! लेज़र होने के बाद मरीज़ ऊसी दिन घर वापस लौट सकता है ! अस्पताल में  

   ठहरने कि ज़रूरत नही होती है! और

* अगले हि दिन मरीज़ अपने काम पर लौट सकता है, ईसमें आराम या छुट्टी लेने कि ज़रूरत नही पड़ती है !

* लेज़र ईलाज  का कोई साईड ईफेकट नही है

* आमतौर पर एक बार लेज़र पर्याप्त होता है, बिमारी ठीक करने के लिए !

* लेज़र ईलाज में अलग से कोई मेडिसिन लेने कि ज़रूरत नही पड़ती है !

क्या तकनीक है ईलाज का? और कैसे काम करता है ये ?

लेज़र अबलेशन procedure में एक ख़ास wavelength energy (ऊर्जा) का ऊपयोग कर के ख़राब वेन को बंद कर दिया जाता है! ईसमें मरीज को बेहोश करने कि ज़रूरत नही पड़ती है, और लेज़र अबलेशन procedure आधे घंटे में ख़त्म कर लिया जाता है!

लेज़र अॉपरेशन में खून का नुक़्सान नही होता और चीरा या टाँका नही लगाने कि ज़रूरत नही होती है !

डॉ. संजय कुमार
Consultant Endovascular & Interventional Radiologist.
(MBBS, MD, FIPM(Germany), FVIR(TIFAC-CORE), PhD.

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कैसे किया जाता है वेरिकोज वेन्स का उपचार

  • एक हि जगह पर लम्बे समय तक खड़े या बैठे रहने से बचें !
  • हर २ घंटे बाद थोड़ा चहल कदमी ज़रूर करें !
  • व्यायाम नियमित रूप से करें, जिससे पैरों कि माँस पेशियाँ ओर नसें कमज़ोर ना हों और वाल्व अच्छे से काम करते रहें !
  • वेरिकोस वेन के लक्षण दिखने पर पैर का कलर डॉपलर ज़रूर करायें, और ईंटरवेंसनल रेडियोलॉजिस्ट से मिलें !
  • शूरूवाती लक्षण दिखने पर कलर डॉपलर जाँच ज़रूर करायें !
  • ईलाज के अन्य तरीक़ों से बचें !

वेरिकोज वेन्स का इलाज (Treatment of Varicose veins)

अल्‍ट्रासाउंड के जर‍िए वेरिकोज वेन् (varicose veins in hindi) का पता लगाया जाता है, ज‍िसके बाद वेरिकोज वेन्‍स की समस्‍या को दूर करने के ल‍िए आप ये उपाय अपनाएं- 

  • कम्‍प्रेशन वाले मोजे पहनें।
  • लेजर थैरेपी की मदद से वैरीकज वेन्‍स का इलाज क‍िया जाता है। 
  • रोजाना एक्‍सरसाइज करें।
  • ज्‍यादा देर तक बैठने या खड़े रहने से बचें।
  • स्क्लेरोथेरेपी की मदद से नस में इंजेक्‍शन द‍िया जाता है।
  • अपने वजन को कंट्रोल करें।
  • फ्लीबेक्टॉमी में सर्जि‍कल कट के जर‍िए नस को हटा द‍िया जाता है।  
  • टाइट जीन्‍स या ऊंची एड़ी वाले सैंडल न पहनें।

वेरिकोज वेन्‍स की समस्‍या के बढ़ने का इंतजार न करें, ये समस्‍या आपको तकलीफ दे सकती है, लक्षण नजर आने पर तुरंत उपचार करवाएं। 

किस वर्ग के लोगों को ज़्यादा सतर्क रहने कि ज़रूरत है ?

  • सिपाही, फ़ौजी, सिक्योरिटीज़ गार्ड, वाच मैन, लिफ़्ट मैन, नाई/हजाम (पारलर), होटल कर्मचारी, मज़दूर, गर्भवती महिलाओं को ज़्यादा सतर्क रहने कि ज़रूरत है, क्यों कि ये एक जगह पर लम्बे समय तक खड़े या बैठे रहते हैं !
  • शूरूवाती लक्षण दिखने पर कलर डॉपलर जाँच ज़रूर करीयें और पुष्टीकरण के बाद, एक ख़ास क़िस्म के मोज़े पहनने से और कुछ हल्की दवाइयों के ज़रिये, ईसे बढ़ने से रोका जा सकता है!
  • ईंटरवेंसनल रेडियोलॉजिस्ट से परामर्श ज़रूर लें !

Dr Sanjay Vein Clinics aim to provide the most up to date expert advice and treatment in dealing with the appearance and discomfort of varicose veins.

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Dr. Sanjay Kumar - Varicose veins Specialist